Saturday, January 25, 2014

105. अकबर और बीरबल। (Akbar and Birbal)

खाली जंगलो। 

        
अकबर का चिकार का शौक जंगल को बहुत क्षति देते थे।  जंगलो के जानवरो वंचित होता है।  बीरबल ने इस विकास से बहुत दुख होता है।  वॆ अकबर को यह कार्य में संबंधी बनना चाहता है।  एक दिन, अकबर ने उसका काफिले लेकर जंगल में चिकर के लिए जाना लगा।  बीरबल भी उसके साथ जाता है।  वे पंछियो के भाषा समझना से समिति करता है।  उसके तरीका में, वे दोनों देखते रहे कि, एक तोता समूह कोस्ता रहे थे।  राजा अकबर ने बीरबल से पूछता है कि, "बीरबल, तुमने पंछियो के भाषा समझते हुए।  तुमने ये पंछियो के भाषा मुझे समझ सकते है?"  बीरबल ने उस पक्षियों के भाषा चैन से समझने का समीती करता है।  उसके बाद, वे कहते है कि, "जहाँपनाह, यह पक्षियों ने विवाह का औपचारिकताएँ करते है।  वर का पिता ने पाँच क्षति जंगलो चाहिए [दहेज़ निषेद में।]  जबकि, वह वधु का पिता ने कहते है कि वे पॉच क्षति जंगल नही, दस क्षति जंगल ही दूँगा।  राजा अकबर ने अतिरिक्त जानता के लिए अध्दुद होता है।  वे बीरबल से पूछते है कि, "फिर, वर का पिता क्या कहता है?"  बीरबल कहते है कि, "जहाँपनाह, वर का पिता कहते है कि दस क्षति जंगलो आज़ाद में कहाँ से मिल जाएगी?  लेकिन वधु का पिता कहते है कि दस क्षति जंगलो आज़ादी से मिल जाएजा क्योंकि यह देश का राजा का शौक चिकार में ही बहुत होती है।  उसका शौक दो दिन में दस जंगलो को क्षति करता है।  उस तोता के द्वारा बीरबल ने उस सन्देश को अकबर से बोलता है।  अकबर ने कमिया है कि आपका शौक द्वारा जंगलो को हानि की विशालता हुई।  तुरंत वे अपने चिकार के सिलसिला में जांच करती है।  

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